3.10.15

बिहार चुनाव: ठगा, दगा, धोखा, झूठ, जंगल, जल्लाद

कल्पेश याग्निक / भास्कर
बिहार में सच्चा, स्वाभाविक साहसी लोकतंत्र, योग्यता के आधार पर स्थापित हो, असंभव है। किन्तु करना ही होगा। आज बिहार चुनाव को अंधेर नगरी से इसलिए जोड़ने की सहज इच्छा हुई चूंकि जब समूचे परिदृश्य को पुन: देखा-पढ़ा तो जो शब्द उभरे वे थे : ठगा। दगा। धोखा। पोल। झूठ। छीन। छीज। खीज। जंगल। जल्लाद।
यह मेरा निष्कर्ष नहीं है। ये चुनावी सभाओं में सर्वाधिक प्रयोग किए गए शब्द हैं।
किन्तु,
बोधिवृक्ष, बिहार में ही तो है। more

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