26.9.15

इंजीनियर तो नीतीश ही!

हरिशंकर व्यास / नया इंडिया
यह मामूली बात नहीं है जो महागठबंधन बिना तनाव के चुनाव मैदान में है। लालू और नीतीश का महागठबंधन बनना, नीतीश कुमार का बतौर मुख्यमंत्री घोषित होना अनहोनी बात है तो गांधी मैदान में सफल रैली और लालू समर्थक यादवों का रैली बाद शांतिपूर्ण घर लौटना भी बिहार के लोगों के लिए चौंकाने वाला अनुभव था। बाद में सीट और उम्मीदवार चुनने का वक्त आया तो उसमें भी नीतीश कुमार ने शांति से सभी फैसले करवा डाले।
नीतीश कुमार ने लालू यादव को उनके यादव आधार वाली सीटें दी। तभी लालू यादव ने भरपूर मात्रा में यादव-मुस्लिम समीकरण अनुसार उम्मीदवार खड़े किए हैं। वही कांग्रेस को फारवर्ड सीटें छोड़ी तो अपनी जनता दल यू में कुर्मी-कोईरी और अतिपिछड़े उम्मीदवारों का पैंतरा चला।
इस सबका बिहार में आज असर यह है कि एक तरफ भूमिहार बनाम यादव याकि मंडल-दो की राजनैतिक कंपकपाहट है तो दूसरी और विकास, सेकुलर जुमलों में नीतीश कुमार प्रदेश के एकलौते चेहरे हैं। more

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