6.7.15

दो राजनीतिक प्रतीकों का साथ आना

बद्री नारायण / हिन्दुस्तान
नीतीश कुमार अगर विकास के प्रतीक हैं, तो लालू यादव देशज भाषा और शैली से लोगों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण ताकत। नीतीश कुमार के जद-यू और लालू यादव के राजद ने कांग्रेस के साथ मिलकर जो महागठबंधन बनाया है, वह सिर्फ दलों का गठबंधन न होकर बिहार की राजनीतिक संस्कृति के इन प्रतीकों और इनसे बनी दो राजनीतिक भाषाओं का गठबंधन है। एक राजनीतिक भाषा 'विकास एवं सुशासन' के प्रतीक को सामने रखकर अगड़े-पिछड़े, दोनों को जोड़ने का मुहावरा विकसित करती है, जो नीतीश कुमार बोलते रहे हैं। बेशक उसके पीछे पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों का गणित भी है। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षित, प्रवासी, शहरी और जागरूक बिहार के लोगों में बिहारी अस्मिता जगाने की कोशिश भी की है। दूसरी तरफ, लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक भाषा, जो मूलत: अशिक्षितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को जोड़कर चलने वाले प्रतीकों तथा शब्दावलियों से भरी है। वे अपनी देशज बोली और लहजे का रचनात्मक इस्तेमाल करते हुए अपने वोटरों को जगाते व जोड़ते रहे हैं। more

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